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मोदी की फ़ाइल् फोटो |
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Tuesday, 20 February 2018

मोदी के "दो शब्द" बोलने का इंतजार करता देश
तो जिस दौर में अरबों-खरबों लेकर फरार होने या ना चुकाने का चलन हो चुका
है, उस दौर में रविवार को फिर ये खबर आ गई कि पंजाब के तरण तारण में
मुख्त्यार सिंह ने 8 लाख के कर्ज तले खुदकुशी कर ली। तो मध्यप्रदेश के
छतरपुर में द्रगपाल सिंह ने डेढ लाख के कर्ज को ना लौटा पाने के भय तले
आत्म हत्या कर ली । तो संदेश साफ है । नियम-कायदे सबके लिये एक सरीखे नहीं
हैं। क्योंकि एक तरफ रईस कर्ज लेकर फरार हो जाता है। देश छोड़ देता है और
गरीब किसान कर्ज तले खुदकुशी कर लेता है। शनिवार को महाराष्ट्र में परभणी
के गणेश किशनराव । बीड के दिलिप आत्माराम और -वर्धा के सुधाकर मदुजी ने भी
खुदकुशी कर ली और ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री मोदी खामोश हैं। वित्त मंत्री
अरुण जेटली खामोश हैं । जांच एजेंसी सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स हरकत में
है। रिजर्व बैक सहमा हुआ है तो संयम में है। और सार्वजनिक बैंकों की पूरी
कतार ही संदेह के घेरे में है तो बैक को लेकर हर कोई हर सवाल खड़ा कर रहा
है। जिस सीबीआई को सत्ता का तोता तक बताया गया अब उसी की जांच के आसरे ही
बैंकों की साख बचाने और क्रोनी कैपिटलिज्म का खेल खुलने की उम्मीद लगायी जा
रही है । पर जांच के दौर में जो उभर रहा है उसमें रईसों के पॉलिटिकल पावर
के साथ नैक्सेस से बैंकों का नतमस्तक होना सामने आ रहा है। बैंक का संचालन
तक रईसों के इशारे पर उभर रहा है। बैंकों को बचाये रखने के लिये रईसो के
कर्ज को बट्टा खाता में डालने की पॉलिसी उभर रही है। बैंकों के देसी-विदेशी
शाखाओं के बीच तालमेल ना होना भी उभर रहा है।
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# लेख पुन्य प्रसून बाजपेयी की कलम से
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लेख पुन्य प्रसून बाजपेयी की कलम से
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इस ब्लॉग पर लिखी गई पोस्ट किसी पत्रकार या लेखक का है , ये ब्लॉग किसी राजनीतक दल या पार्टी का समर्थन नही करता ,मेरा मकसद सिर्फ सच को जनता तक परोसना है ,आज गोदी मिडिया के समय में जनता की आवाजो को पहुचाने की कोशिश कर रहा हूँ ,आप सब मेरी मदद करे "शुक्रिया "
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