मेरे सोने की चिड़िया लुट ली इन दलालों ने क्यों की 1947 से आज तक सिर्फ सता ट्रान्स्फर हुई है! आजादी नही
→➔ बहुत लोग ये सोच रहे होंगे की अजादी 69 साल बाद भी हमे आजादी की दुसरी लड़ाई क्यों लड़नी है , अजादी तो हमे मिल गई है फिर किस अजादी की बात कर रहे हो !ये जो हमे अजादी मिली है ये ओ अजादी नहीआजादी की दूसरी लड़ाई केलिए बना इंकलाबी कारवाँ
है ,जिसकी कल्पना हमारे शहीदों ने की थी 1947 के पहले हमारे देश के सब क्रन्तिकारी जो हमारे देश केलिए संघर्ष कर रहे थे ,वो चाहे भगत सिंह हो ,चाहे उधम सिंह हो ,चंद्रशेखर आजाद हो ,नानाफाड़नवीस हो ,चाहे तात्या टोपे हो ,लाला लाजपत राय रहे हो ,या इन सबसे पहले स्वामी दयानन्द सरस्वती रहे हो , बंकिमचन्द्र चटर्जी रहे हो,सुरेन्द्र नाथ बनर्जी रहे हो ये सारे के सारे क्रन्तिकारीयों के सपना जो था अजादी का ,वैसी कोई अजादी हमे मिली नही है ,आज तक हिन्दोस्तान जब अजादी केलिए लड़ रहा था तो 1930 के साल में लाहौर नाम के शहर में एक सम्मेलन हुआ था ,लाहौर उस समय भारत का हिस्सा था ,उस सम्मेलन में एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसमे पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई थी,उस पूर्ण स्वराज्य की प्रस्ताव में ये कहा गया था की जब भारत आजाद हो जायेगा अंग्रेजो की गुलामी से तो भारत देश में सारी समस्याएँ नही रहेगी जो अंग्रेजो के कारण है ,जैसे गरीबी नहीं होगी,भुखमरी नही होगी ,बेकारी नही होगी भारत देश में मारा मारी नही होगी,सब भारत में सुख और शांति से रहेंगे ,हिन्दोस्तान की हर व्यक्ति को सम्मान मिलेगा हर व्यक्ति को जीवन जीने का अधिकार मिलेगा !
अंग्रेजो ने जो नियम बनाये है भारत को सोशन करने केलिए वो सब कायदे कानून समाप्त हो जायेंगे अंग्रेजो के बनाई गई पूरी प्रशानिक व्यवस्था बदल जाएगी! ऐसी बहुत सारी बाते 1930 के लाहौर सम्मेलन में कही गई थी आप जानते है की लाहौर अधिवेशन से कुछ दिन पहले भगत ने जेल में रहते अपने कुछ मित्रो के नाम एक संदेश भेजा था!
उनकी फासी से लगभग एक सप्ताह पूर्व ,और भगत सिंह का जो सन्देश जो उनके मित्रो के नाम गया उसमे भी यहीं लिखा की मै मानता हु की देश की अजादी केलिए शहीद होने वाला हर एक क्रांतकारी एक सपना ले के मर रहा है और वो सपना ये है की एक दिन भारत अजाद होगा अंग्रेजो की गुलामी से और अंग्रेजो के कारण दुःख और यातनाये मिली है वो सारे दुःख और यातनाओ से भारत को मुक्ति मिल जाएगी अजादी आएगी इसी तरह की बात 1941 में सुभाष चन्द्र बोस ने कही थी जब वो अजाद हिन्द फ़ौज की भर्ती कर रहे थे ,महात्मा ने भी यही कहा था ,अब हमारे देश के सभी क्रांतकारियों के मुह से ऐसी ही बाते निकली की अजादी मिलने के बाद का जो भारत होगा वो ऐसा भारत होगा जिनकी कल्पना उन सब के मन में लगभग एक जैसी थी !
अजादी की लड़ाई में 1857 से 1947 के बीच 6 लाख 40.000 क्रान्तिकारियो ने अपनी जान दी ! फिर भी सता में बैठे लोग हमारे शहीदों की
सपने का भारत नही होने दिया ! और शहीदों को वोटो केलिए इस्तेमाल किया ,आज घिस घिस के पिस रहा है आम आदमी बूंद-बूंद रिस रहा है आम आदमी ,हमेशा रोता ही दिखता है आम आदमी, क्यों की गंदे सिस्टम में पिस रहा है आम आदमी ,बूंद बूंद पानी को तरश रहा गरीब ,यही है आम आदमी का नसीब इस केलिए हमारे देश के क्रान्तिकारियो ने बलिदान दिया !
68 साल से जनता सिर्फ बन रही है उल्लू ,जनता ने तो नेताओ के वादे पर भरोसा करके वोट दिया ,लेकिन नेताओ ने क्या दिया बाबा जी का ठुल्लू ,अरे नेता जी भारत की जनता तो आज भी ज्यादा तर अनपढ, गरीबऔर बेरोजगार है क्या ये सपना देखा था हमारे शहीदों ने ! अब तो फौजिओ से धोखा करने लगे हो अब तो गदर मचेगा और धर्मो में बाटने वाले अब तुम होशियार हो जाओ क्यों की अब इंकलाबी कारवाँ बन गई है जब तक हमारे शहीदों का भारत नही आयेगा ये कारवाँ नही रुकेगी !
इंकलाब जिंदाबाद इंकलाबी कारवाँ
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